उत्तराखण्ड

Uttarakhand: निशंक के समर्थन में आए त्रिवेंद्र और हरदा, कही ये बड़ी बात

Uttarakhand Politics News: निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भराड़ीसैंण में विस सत्र में सदन में सरकार गिराने की साजिश से जुड़ा बयान दिया था। इसके बाद राजनीति में खासी हलचल है।

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के बयान का समर्थन करते हुए कहा, यह 70 विधायकों की साख का सवाल है। सरकार गिराने की साजिश से जुड़े बयान की जांच होनी चाहिए। उधर, पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी फेसबुक पर निशंक की तारीफ की।

बता दें कि निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भराड़ीसैंण में विस सत्र में सदन में सरकार गिराने की साजिश से जुड़ा बयान दिया था। इसके बाद राजनीति में खासी हलचल है। पूर्व सीएम निशंक ने इस पूरे मामले की जांच की मांग उठाई। अब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मसूरी के कार्यक्रम में डॉ. निशंक के बयान का समर्थन किया।

कहा, राज्य में भ्रम की स्थिति हो गई है। सरकार गिराने के लिए 500 करोड़ रुपये के मामले पर डॉ. निशंक ने जो कहा, उससे सौ फीसदी सहमत हूं। इस पर किसी भी विधायक ने सदन के अंदर या बाहर अभी तक कोई खंडन नहीं किया। सरकार ने भी अभी तक कोई खंडन नहीं किया। इससे जनमानस में गलत संदेश जा सकता है।

कहा, जिस व्यक्ति ने यह मामला उठाया और कोई विश्वसनीय व अनुभवी व्यक्ति नहीं है। उसको उत्तराखंड के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन विस में कोई बात उठी है और वह सदन की कार्यवाही का हिस्सा बना है, तो उनसे भी पूछा जाना चाहिए कि इसके प्रमाण दें।

कहा, हमारा खुफिया तंत्र क्या कर रहा है। स्पीकर अगर मामले में प्रमाण मांगती तो अच्छा होता। यह राजनीति का समय नहीं है, राज्य के 70 विधायकों की साख का सवाल है।

हरीश बोले, हम तो केवल धुआं देख रहे थे, आप…

पूर्व सीएम हरीश रावत ने फेसबुक में लिखा, वाह निशंकजी, सरकार गिराने की कथानक पर आपका बयान देखा। बहुत बहादुरी दिखाई। आपने स्पष्ट कहा, सरकार गिराने की साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए। यह सरकार गिराने की आग जहां जल रही है, हम तो केवल धुएं को देखकर अंदाजा लगा रहे हैं, लेकिन लगता है कि आप आग के नजदीक तक पहुंच गए हैं।

विस अध्यक्ष का पद तटस्थ होता है। सदन में किसी सदस्य की ओर से कोई बात कही जाती है और उस बात को पक्ष-विपक्ष उठाता है तो विस अध्यक्ष संज्ञान लेता है, लेकिन स्पीकर सदन में सदस्य की ओर से अपशब्द कहने या उस सदस्य का जिक्र करने पर जो सदन में मौजूद नहीं है, के बारे में स्वत: संज्ञान लेता है। सदस्य की बात पर पक्ष-विपक्ष कुछ नहीं कहता तो पीठ से विनिश्चय देना नियम विरुद्ध होता है।
-ऋतु खंडूड़ी भूषण, विधानसभा अध्यक्ष

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