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क्या है इंसेंडियरी डिवाइस? जिसका केरल बम धमाके में किया गया इस्तेमाल

Kerala Blast : केरल के कोच्चि में स्थित कन्वेंशन सेंटर में 29 अक्टूबर को सीरियल बम धमाके देखने को मिला। इस धमाके में 1 मौत हो गई है। वहीं 35 से अधिक लोग इस धमाके में घायल हो गए हैं, जिनमें से कुछ लोगों को गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती कराया गया है, वहीं अलग-अलग अस्पतालों में अन्य घायलों का इलाज जारी है। केरल के कलामासेरी स्थित कन्वेंशन सेंटर में एक के बाद एक कुल 5 धमाके हुए हैं। एनआईए की शुरुआती जांच में यह पता चला है कि इस विस्फोट में इंसेंडियरी डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही आईईडी के भी सबूत मिले हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इंसेंडियरी डिवाइस आखिर क्या है। यह कितना घातक है?

क्या है इंसेंडियरी डिवाइस

बम धमाके की हो रही जांच में अबतक यह पता चला है कि इस धमाके में इंसेंडियरी डिवाइस  (incendiary device) का इस्तेमाल किया गया है। यह एक आईडी की तरह होता है। इंसेंडियरी डिवाइस से धमाका छोटा होता है लेकिन इससे धमाके के बाद आग लग जाती है क्योंकि इस कुछ केमिकल्स होते हैं। जानकारी के मुताबिक घटनास्थल से पुलिस को धमाके में इस्तेमाल होने वाला वायर, बैट्री व अन्य संदिग्ध सामान मिले हैं। बता दें कि इंसेंडियरी डिवाइस को हथियार भी कहते हैं। इसे आग लगाने का हथियार भी कहते हैं। इसमें मैग्निशियम पाउडर, क्लोरी ट्राइफ्लोराइड जैसी कई अन्य सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके धमाके के बाद ही आग लग जाता है। इससे नुकसान ज्यादा संख्या में होता है।

क्यों होता है आईईडी का इस्तेमाल

आईईडी एक तरह का बम है जिसमें आग लगने वाले घातक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि धमाके के पास आसपास के भीड़ को चपेट में लिया जा सके। बड़े पैमानें पर नुकसान पहुंचाने के लिए इंसेंडियरी डिवाइस और आईईडी का इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर आतंकी या नक्सली बड़े वारदातों को अंजाम देने के लिए इन बमों का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि इससे नुकसान ज्यादा होता है। वहीं इन बमों की खासियत है कि इन्हें ट्रिगर करने के लिए बम के आसपास होना जरूरी नहीं है। इन बमों को रिमोट कंट्रोल के जरिए कहीं दूर से भी ट्रिगर कर धमाका किया जा सकता है।

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