उत्तराखण्ड

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने लोगों के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था की

हरिद्वार। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी, जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष एवँ हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से दमदार प्रत्याशी भावना पांडे ने आम जनता को ठंड से राहत देने का प्रयास करते हुए एक बार फिर हरिद्वार क्षेत्र में बेसहारा लोगों को कंबल बांटे एवं आम लोगों के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था की।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने हरिद्वार के कोतवाली क्षेत्र पहुंचकर जटवाड़ा पुल के निकट, ज्वालापुर, रानीपुर एवं उसके आसपास के इलाकों में गरीब व असहाय लोगों को कंबल वितरित किये। यही नहीं उन्होंने स्वयं के खर्च पर लकड़ियों की व्यवस्था की एवं क्षेत्र में जगह-जगह अलाव जलाने का इंतजाम किया जिससे आम जनता को ठंड से थोड़ी राहत मिल सके।

आपको बता दें कि इससे पूर्व भी जनसेवी भावना पांडे ने रूड़की, कलियर एवं उसके निकट के क्षेत्रों में बेसहारा लोगों को कंबल वितरित किये थे और लोगों को ठंड से बचाने के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था की थी। इसके साथ ही भावना पांडे ने सभी को लोहड़ी की शुभकामनाएं दी एवं लोहड़ी के प्रसाद के रूप में लोगों को रेवड़ी, मुंगफली एवं मक्की के दाने आदि वितरित किये।

इस दौरान मीडिया से वार्ता करते हुए सासंद प्रत्याशी भावना पांडे ने कहा कि इन दिनों पूरे क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। सर्द मौसम में जहां गरीब व आम जनता ठिठुरने को विवश है तो वहीं भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों के नेता रजाई व कंबलों में दुबके हुए हैं। इन नेताओं को जनता की तकलीफ बिलकुल भी नजर नहीं आती। उन्होंने कहा कि उन्हें जहां भी कोई गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति नजर आ रहा है वे उसे कंबल वितरित कर रही हैं एवं अपने खर्च पर लकड़ियां खरीदकर लोगों के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था कर रही हैं, जिससे लोग शीतलहर के प्रकोप से बच सकें।

भावना पांडे ने कहा कि नगर निगम महंगे दामों पर लकड़ियां बेच रहा है, जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जा रही है, वैसे ही नगर निगम लकड़ियों की कीमत भी बढ़ाता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे मंहगे दामों पर लकड़ियां खरीदकर लोगों के लिए अलाव जलाने में जुटी हुई हैं किन्तु सरकार व प्रशासन को लोगों का दर्द नहीं दिख रहा है। जहां सरकार व प्रशासन को लोगों के बीच मुफ्त लकड़ियां बांटकर अलाव की व्यवस्था करनी चाहिए थी, वहीं लकड़ियों की कीमत बढ़ा दी गई है वाकई ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

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