उत्तराखण्ड

टनल में फंसे श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए भेजे जाएंगे बोर्ड गेम और ताश

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 दिनों से 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। इन श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए बचाव दल ने उन्हें बोर्ड गेम और ताश उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बता दें कि फिलहाल श्रमिकों को निकालने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं बचाव के लिए चलाए जा रहे अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं। गुरुवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा, क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई। ड्रिलिंग का काम शुक्रवार सुबह भी प्रारंभ नहीं हो सका।

तनाव दूर करने के लिए बना रहे योजना

बचाव स्थल पर मौजूद मनोचिकित्सक डॉ. रोहित गोंडवाल ने बताया कि हम उनका तनाव दूर करने के लिए लूडो, शतरंज और ताश उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभियान में देरी हो रही है और ऐसा लगता है कि कुछ समय और लगेगा। सभी 41 श्रमिक ठीक हैं, लेकिन उन्हें स्वस्थ और मानसिक रूप से ठीक रहने की जरूरत है। गोंडवाल ने कहा कि उन्होंने हमें बताया कि वे चोर-पुलिस खेलते हैं। तनाव दूर करने के लिए रोजाना योग और व्यायाम करते हैं।

बचाव कार्य में आ रही बाधा

इन श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ ने कहा कि उनका मनोबल ऊंचा रहना चाहिए और उन्हें आशावान रखना चाहिए। चिकित्सकों की एक टीम प्रतिदिन श्रमिकों से बात करती है और उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी लेती है। बुधवार देर रात ऑगर मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में बचाव अभियान फिर से शुरू होने के कुछ घंटों बाद हालिया बाधा आई। उत्तराखंड के चार धाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि जब ड्रिलिंग का कार्य रोका गया है।

हर दिन होती है बात

अधिकारियों ने कहा कि बचावकर्मी मलबे को 48 मीटर तक भेदने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए 10 मीटर का रास्ता तय करना बाकी है। उत्तरकाशी और देहरादून के चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों सहित एक दर्जन चिकित्सकों की एक टीम घटनास्थल पर मौजूद है। अधिकारियों ने कहा कि टीम के सदस्य फंसे हुए मजदूरों से नियमित रूप से सुबह कम से कम 30 मिनट और शाम के वक्त इतनी ही देर तक बात करते हैं।

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