उत्तराखण्ड

कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रही पहाड़ों की रानी मसूरी

मसूरी। एमडीडीए से बिना मानचित्र स्वीकृत के किसी भी प्रकार के निर्माण पर मसूरी में पूरी तरह से रोक है। बावजूद इसके जगह-जगह अवैध निर्माण हो रहा है। मसूरी क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता खत्म होने के साथ कंक्रीट के जंगल का विस्तार हो रहा है। एमडीडीए अवैध निर्माण पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।

शहर के ओल्ड टिहरी बस क्षेत्र, बार्लोगंज, कैंपटी रोड, माल रोड, हाथी पांव रोड, नाग मंदिर रोड, स्प्रींग रोड, सुमित्रा भवन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहा है। कंक्रीट के जंगलों से मसूरी बदरंग हो रही है। जिन जगहों पर नक्शा स्वीकृत कराने के बाद निर्माण हो रहा है वहां भी मानकों को ताक में रखा जा रहा है। कहीं जगह मनमाने ढंग से निर्माण तो कहीं जगहों पर बहुमंजिला भवन बनाए जा रहे हैं। शिकायत मिलने पर प्राधिकरण की ओर से अवैध निर्माण के सिलिंग की कार्रवाई के बजाए नोटिस जारी करने तक सीमित है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राधिकरण की लापरवाही से नोटिफाइड क्षेत्र में भी अवैध निर्माण हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता जयप्रकाश राणा ने बताया कि माल रोड में एक होटल संचालक ने अवैध तरीके से बेसमेंट बनाया है। प्राधिकरण मूकदर्शक बना है। एमडीडीए सहायक अभियंता अभिषेक भारद्वाज ने बताया कि अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर सीलिंग की कार्रवाई की जाती है। अवैध निर्माण चिह्नित करने की कार्रवाई की जा रही है। चिह्नित निर्माण को सील किया जाएगा।

नोटिफाइड एस्टेट में आवास बनाने के लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी अनिवार्य है। अननोटिफाइड एस्टेट में एमडीडीए और सरकार के शासनादेश के तहत कार्रवाई कर मानचित्र स्वीकृत किए जाते हैं। नोटिफाइड एस्टेट में 1980 से पूर्व में बने भवनों के पुनर्निर्माण की अनुमति प्राधिकरण स्तर से मिलती है, लेकिन नया आवास बनाने के लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी जरूरी है। बिना मानचित्र स्वीकृत भवन निर्माण कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

– अतुल गुप्ता, ईई एमडीडीए

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